हार्ट अटैक से बचाव
कारण, लक्षण और रोकथाम के आसान उपाय
आज की तेज़ रफ़्तार जीवनशैली में हार्ट अटैक एक आम लेकिन गंभीर समस्या बन चुका है। भारत में कम उम्र में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अच्छी बात यह है कि कुछ महत्वपूर्ण आदतों में बदलाव करके हार्ट अटैक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
हार्ट अटैक क्यों होता है?
हार्ट अटैक तब होता है जब हृदय की किसी धमनी में ब्लॉकेज बन जाता है और हृदय को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता। यह ब्लॉकेज अक्सर कोलेस्ट्रॉल जमने, धूम्रपान, तनाव, मोटापा और अनियमित जीवनशैली के कारण होता है।
हार्ट अटैक के प्रमुख जोखिम कारक
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हाई BP (हाई ब्लड प्रेशर)
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हाई कोलेस्ट्रॉल
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डायबिटीज
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मोटापा और पेट पर चर्बी
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धूम्रपान या तंबाकू
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अत्यधिक तनाव
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शारीरिक गतिविधियों की कमी
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अस्वास्थ्यकर भोजन
हार्ट अटैक के लक्षण पहचानें
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सीने में भारीपन या दबाव
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बाईं बांह, जबड़े, गर्दन या पीठ में दर्द
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सांस फूलना
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अत्यधिक पसीना
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चक्कर आना या कमजोरी
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घबराहट
लक्षण दिखते ही तुरंत मेडिकल सहायता लेना ज़रूरी है।
हार्ट अटैक से बचाव के उपाय (Prevention Tips)
1. स्वस्थ आहार अपनाएं
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तले हुए और जंक फूड से बचें
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दिल के लिए लाभदायक खाद्य पदार्थ खाएं:
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ओट्स, दलिया, जई
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फल और सब्जियाँ
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बादाम–अखरोट
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ऑलिव ऑयल और सरसों का तेल
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ओमेगा-3 युक्त मछली या अलसी के बीज
2. नियमित व्यायाम करें
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रोज़ 30–45 मिनट तेज़ चलना
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योग, प्राणायाम, साइकिलिंग या तैराकी
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लंबे समय तक बैठे रहने से बचें
3. तनाव कम करें
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योग, ध्यान, गहरी सांस
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नींद पूरी लें (7–8 घंटे)
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फालतू मानसिक तनाव से बचने की कोशिश करें
4. धूम्रपान और तंबाकू बिल्कुल छोड़ दें
ये हृदय की धमनियों को सख्त और संकरी बनाते हैं। 100% छोड़ने से जोखिम तेजी से कम होता है।
5. वजन और पेट की चर्बी नियंत्रित रखें
बेल्ट साइज बढ़ना भी हार्ट अटैक के जोखिम का संकेत है। संतुलित आहार + नियमित व्यायाम ज़रूरी है।
6. ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच
साइलेंट रूप से बढ़े BP और शुगर सबसे बड़े खतरे बनते हैं।
हर 6–12 महीने पर जांच कराते रहें।
7. पर्याप्त पानी पिएं
रोज़ 2–3 लीटर पानी रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है।
8. अल्कोहल का सेवन सीमित करें
अधिक मात्रा हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालती है।
निष्कर्ष
हार्ट अटैक पूरी तरह रोका जा सकता है यदि आप अपनी जीवनशैली में छोटे लेकिन महत्वपूर्ण बदलाव लाते हैं। स्वस्थ भोजन, नियमित व्यायाम, तनाव नियंत्रण और समय-समय पर जांच — ये सभी कदम आपके हृदय को सुरक्षित और मजबूत रखते हैं।
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